बीकानेर: फर्जी खेल सर्टिफिकेट और मार्कशीट से बड़ा फर्जीवाड़ा, शिक्षा निदेशालय के दो पूर्व एलडीसी सहित तीन लोग गिरफ्तार
बीकानेर। एसओजी ने फर्जी डिग्री मामले में शिक्षा निदेशालय के दो पूर्व एलडीसी सहित तीन जनों को पूछताछ के बाद गिरफ्तार कर लिया है। एसओजी ने फर्जी डिग्री मामले में संदिग्ध लोगों को उठाकर उनसे पूछताछ की थी। पूछताछ में प्रथम दृष्टया आरोप सही पाए जाने पर एसओजी ने शिक्षा निदेशालय में पूर्व में कार्यरत एलडीसी मनदीप सांगवान पुत्र सत्यवीर सिंह हाल यूडीसी सीबीइओ कार्यालय बीकानेर, पूर्व एलडीसी जगदीश पुत्र मदनगोपाल निवासी नागौर हाल यूडीसी करनी उच्च माध्यमिक विद्यालय देशनोक बीकानेर और फर्जी डिग्री प्रिंट करने वाले राकेश कुमार पुत्र काशीराम निवासी वार्ड नंबर 27 रामबास राजगढ़ चुरू को गिरफ़्तार कर लिया है।
आरोपी मनदीप और जगदीश द्वारा पूर्व में गिरफ्तार दलाल सुभाष के माध्यम से मनदीप की पत्नी सुमन को चुरू के ओपीजेएस विश्वविद्यालय से फर्जी डिग्री दिलवाकर पीटीआई भर्ती में प्रयोग लिया गया। पहले जो फर्जी डिग्री मिली उसने तारीख 15 अक्तूबर अंकित कर दी, जिससे ज्वॉइनिंग में दिक्कत होती। इस पर दोनों ने चर्चा कर दूसरी फर्जी डिग्री निकालकर तारीख 23 सितंबर अंकित कर दी। पीटीआई परीक्षा की विज्ञप्ति अनुसार बीपीएड की डिग्री 25 सितंबर से पूर्व की होनी चाहिए थी। सुमन वर्तमान में शारीरिक शिक्षक के पद पर तैनात है। सुभाष, मनदीप, जगदीश अपने अन्य साथियों के साथ मिलकर विभिन्न प्रतियोगी परीक्षाओं में खेल आरक्षण का लाभ लेने के लिए विशेष योग्यता के अंक अर्जित करके देने के लिए अलग षड्यंत्र करते।
मनदीप और जगदीश योग्य अभ्यर्थियों को ढूंढकर पहले सौदा तय करते। उसके बाद सुभाष के माध्यम से ओपीजेएस या अन्य विश्वविद्यालय में फर्जी एडमिशन करवाते। लाभांश पाने वाले खिलाड़ियों के एडमिशन के साथ-साथ जिस भी खेल की प्रतियोगिता है उसके प्रोफेशनल खिलाड़ियों का भी एडमिशन करवाते। खेल प्रतियोगिता जैसे रस्साकसी, वॉलीबॉल, टारगेट बॉल इत्यादि खेलों में प्रोफेशनल खिलाड़ियों को विश्वविद्यालय की ओर से खिलाते और लाभांश पाने वाले अभ्यर्थियों को रिजर्व में रखते या कई बार लाभांश पाने वाले अभ्यर्थियों के स्थान पर प्रोफेशनल खिलाड़ी को डमी के रूप में भी खेल खिलाकर मेडल दिलवाते।
मेडल के अंक लाभांश पाने वाले अभ्यर्थी को मिलते। इस पूरे षड्यंत्र में विश्वविद्यालय के कुछ कर्मचारियों के शामिल होने का भी आरोप है। यदि सुभाष डिग्री की व्यवस्था विश्वविद्यालय से नहीं कर पाता तो राकेश की प्रिंटिंग प्रेस में छपवा देता। राकेश द्वारा और भी कई जाली दस्तावेज प्रिंट किए गए हैं।