राजस्थान में बिछी चुनावी बिसात, इन सात सीटों पर सबकी नजर
बीकानेर। प्रदेश में जहां एक तरफ गर्मी का सीजन शुरू हो गया है, तो वहीं दूसरी तरफ अब सियासी पारा भी बढ़ने लगा है। जैसे-जैसे चुनाव के दिन नजदीक आ रहे है, वैसे-वैसे ही प्रत्याशी प्रचार में अपनी पूरी ताकत झोंकते हुए नजर आ रहे है। राजस्थान में जहां पहले चरण में 12 सीटों पर मतदान 19 अप्रेल को होने है। ऐसे में अब बचे अंतिम दो सप्ताह में प्रचार में ओर तेजी आने की उम्मीद नजर आ रही है। अगले कुछ दिनों में ही कई बड़े नेताओं की सभा, रोड शो राजस्थान में आयोजित होने वाले है। इन 12 सीटों की बात करें तो भाजपा में जहां प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी, गृहमंत्री अमित शाह, रक्षा मंत्री राजनाथ सिंह की तो कांग्रेस में राहुल गांधी, प्रियंका गांधी की सभाएं होने वाली है। ऐसे में राजस्थान में चुनावी बिसात पूरी तरह से बिछकर तैयार हो चुकी है। बात करें प्रचार-प्रसार की तो भाजपा इस बार भी पीएम मोदी के चेहरे पर ही चुनावी मैदान में है। कई जगहों पर यह भी देखने को मिला है कि सांसद अपने खुद के करवाए विकास कार्यों की बजाय पीएम के चहेरे पर ही चुनाव लड़ रहे है। खैर इसका असर कितना देखने को मिलता है वो तो 4 जून को ही पता चल सकेगा।
इन सीटों पर जोर-आजमाइश
बात करें बीकानेर लोकसभा सीट की तो यहां कांग्रेस प्रत्याशी ने मुकाबला रोचक बना दिया है। भाजपा प्रत्याशी अर्जुनराम मेघवाल जहां सुबह से लेकर रात तक चुनाव प्रचार में जुटे हुए है वहीं गोविंदराम मेघवाल भी अपनी पूरी ताकत के साथ चुनावीं मैदान में डटे हुए है। बात अर्जुनराम मेघवाल की करें तो विवादों से दूर और साफ छवि उनको फायदा दे रही है, लेकिन गहलोत सरकार में मंत्री रहे गोविंदराम के अनुभव ने भी मुकाबला रोचक स्थिति में लाकर खड़ा कर दिया है। इसके अलावा सभी की नजरें राजस्थान की सबसे हॉट सीट बाड़मेर पर टिकी है, क्योंकि यहां केंद्र में मंत्री कैलाश चौधरी भाजपा से तो आरएलपी छोड़ कांग्रेस में आए उम्मेदाराम बेनीवाल चुनावी मैदान में है। लेकिन गुरुवार को निर्दलीय प्रत्याशी रविंद्र सिंह भाटी की नामंकन रैली ने मुकाबला रोमांचक बना दिया है। इसके साथ ही बाड़मेर में अब त्रिकोणीय मुकाबला होता नजर आ रहा है। हालांकि बाड़मेर सीट को छोड़ दिया जाए तो सभी प्रदेश की सभी 25 सीटों पर सीधा मुकाबला नजर आ रहा है।
यहां भी रोमांचक स्थित
बात करें चूरू की तो कभी भाजपा के लिए सेफ सीट मानी जाती थी। लेकिन भाजपा से ही सांसद रहे राहुल कस्वां इस बार कांग्रेस से ताल ठोकते हुए नजर आएंगे। क्योंकि भाजपा से उनका टिकट काटकर देवेंद्र झाझड़िया को दिया गया है। यह सीट इसलिए भी खास है, क्योंकि यहां से भाजपा के कद्दावर नेता राजेंद्र सिंह राठौड़ आते है। सियासी जानकारों की माने तो इस बार के टिकट वितरण में भी उनकी अहम भूमिका रही है। अब तो चूरू में चर्चा यह भी है की इस बार का मुकाबला राठौड़ और कस्वां के बीच है। इस सीट के लिए शुक्रवार को पीएम मोदी की सभा का आयोजन होगा। इसके अलावा नागौर में भाजपा से ज्योति मिर्धा तो गठबंधन से आरएलपी से हनुमान बेनीवाल के बीच मुकाबला है। दोनों को इस क्षेत्र के कद्दावर नेता के रूप में जाना जाता है। यह इसलिए भी ख़ास है क्योंकि दोनों की राजनीतिक प्रतिष्ठा इस बार दाव पर रहेगी। जो भी जीतेगा उसके लिए राजनितिक उदय हो सकता है। झुंझुनूं की बात करें तो भाजपा से शुभकरण चौधरी और कांग्रेस से ब्रजेन्द्र ओला को प्रत्याशी बनाया गया है। जहां चौधरी राजपूतो के खिलाफ खुलकर बोलते हुए नजर आते है, वहीं ओला शांत स्वाभाव के लिए भी जाने जाते है। कुछ दिन पहले यहां ओला मजबूत नजर आ रहे थे, लेकिन उनके एक बयान ने यहां सियासी हलचल तेज कर दी है।
पूर्व सीएम के बेटे भी मैदान में
राजस्थान में लोकसभा चुनाव में सबकी नजर जालौर सीट पर भी रहेगी। क्योंकि यहां कांग्रेस से पूर्व मुख्यमंत्री अशोक गहलोत के बेटे और पूर्व आरसीए अध्यक्ष वैभव गहलोत चुनाव लड़ रहे है तो भाजपा से लुम्बाराम मैदान में है। यह चुनाव इसलिए भी खास होगा क्योंकि कई बड़े दिग्गज नेता इस सीट पर प्रचार करने के लिए आएंगे। पूर्व डिप्टी सीएम सचिन पायलट भी इस सीट पर वैभव के पक्ष में प्रचार करने की घोषणा कर चुके है। इसके अलावा पीसीसी चीफ गोविंद सिंह डोटासरा के गृह जिले सीकर में भी गठबंधन के सीपीएम से अमराराम तो भाजपा से सुमेधानंद मैदान में है। यहां पर प्रदेश कांग्रेस के कई बड़े नेता अमराराम के पक्ष में चुनावी सभा कर मुकाबले को रोचक बना चुके है। यहां यह कहना गलत नहीं होगा की डोटासरा अगर इस सीट पर सफल होते है तो उनके लिए यह एक बड़ी सफलता के रूप में देखी जाएगी।