Saturday, October 5, 2024
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सांसद बेनीवाल पहुंचे धरना स्थल पर, बड़ी संख्या में पहुंचे ग्रामीण, देखे वीडियो

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सांसद बेनीवाल पहुंचे धरना स्थल पर, बड़ी संख्या में पहुंचे ग्रामीण, देखे वीडियो

बीकानेर न्यूज़। बीकानेर के जवान रामस्वरूप कस्वां की श्रीनगर (जम्मू-कश्मीर) के अनंतनाग में मौत के मामले में तीसरे दिन भी जयपुर-बीकानेर नेशनल हाईवे 24 घंटे से जाम रहा। परिजन उन्हें शहीद का दर्जा दिलाने की मांग पर अड़े हैं। धरने पर नागौर सांसद हनुमान बेनीवाल भी पहुंचे।

हनुमान बेनीवाल ने कहा कि – हम शहीद का दर्जा ही तो मांग रहे हैं। ना तो सरकार में दम है ना समाज के नेताओं में, अगर मैं सरकार में होता तो 15 मिनट में शहीद का दर्जा दे देता। उन्होंने कहा कि मुझे कस्वां के भाई का फोन आया था। उन्होंने कहा मुझे भाई के मौत की सूचना सेना ने दी। कहा कि आपके भाई को गोली लगी है, उन्होंने सुसाइड की कोई बात नहीं कही। धरनास्थल पर पहुंचे हनुमान बेनीवाल ने कहा कि कस्वां की मौत के मामले में डिप्रेशन की बात सामने आ रही है। ऐसे अगर लोग डिप्रेशन के शिकार होने लगे, सेना की नौकरियां छोड़ कर आने लगे तो कोई भविष्य नहीं रह जाएगा। ना कोई पेंशन है, ना शहीद का दर्जा है तो फिर कोई क्यों देश के लिए लड़ेगा। हम केवल शहीद का दर्जा मांग रहे हैं। कोर्ट ऑफ इंक्वायरी चल रही है। अगर बीकानेर का प्रशासन समझदार होता, हमारी कौम के नेताओं का खून पानी नहीं होता तो हमारे नौजवानों को ऐसे धरने पर नहीं बैठना पड़ता।

बेनीवाल ने कहा कि 24 की शाम को ही मेरी बात जवान रामस्वरूप के भाई श्रीराम से हुई। उन्होंने बताया कि सेना के अधिकारियों की तरफ से गोली लगने की बात कही गई। सुसाइड की कोई बात नहीं कही। अगर आत्महत्या होती तो रामस्वरूप पढ़े लिखे थे, वे सुसाइड नोट लिखते अपनी बात कहते। ऐसे में कोर्ट ऑफ इंक्वायरी की कोई आवश्यकता नहीं थी। परिवार शहीद के दर्जे की मांग कर रहा है। यहां बैठे भाजपा के नेता नहीं चाहते कि किसान कौम का भला हो। सेना को ठेके पर दे दिया। उनको कोई चिंता नहीं है। भाजपा सिर्फ धार्मिक भावनाओं से खेलते हैं। रामस्वरूप कस्वां को शहीद का दर्जा दिलाने के लिए बनी संघर्ष समिति और प्रशासन के बीच जिन मुद्दों को लेकर सहमति नहीं बन रही है, उसमें सबसे बड़ी मांग शहीद का दर्जा ही है। दरअसल, शहीद का दर्जा देने का अधिकार जिला प्रशासन और राज्य सरकार के पास नहीं है। वहीं शहीद की तरह अंतिम यात्रा व अंतिम संस्कार की डिमांड है। इस पर प्रशासन सहमत है। वहीं जिला सैनिक अधिकारी पर कार्रवाई अब तक नहीं हुई है। परिजनों की डिमांड है कि आत्महत्या घोषित करने वाले जिला सैनिक अधिकारी को तुरंत हटाया जाए।

 

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