Rajasthan Panchayat elections: राजस्थान में पंचायत चुनाव को लेकर आई बड़ी खबर, इस तारीख तक नहीं होंगे चुनाव, पढ़े खबर
सरपंचों को बताया 'प्राइवेट व्यक्ति'



Rajasthan Panchayat elections: राजस्थान में चायत चुनाव को लेकर आई बड़ी खबर, इस तारीख तक नहीं होंगे चुनाव, पढ़े खबर
Rajasthan Panchayat elections: राजस्थान में ग्राम पंचायत चुनाव को लेकर एक बड़ी खबर सामने आई है। राज्य की 6,759 से अधिक ग्राम पंचायतों के चुनाव जून 2025 से पहले नहीं होंगे। यह जानकारी राजस्थान हाईकोर्ट में राज्य सरकार की ओर से पेश किए गए एक अतिरिक्त शपथपत्र (एफिडेविट) से सामने आई है। सरकार ने कोर्ट को बताया कि पंचायतों और नगरपालिकाओं के पुनर्गठन और परिसीमन की प्रक्रिया के लिए मार्च 2025 में अधिसूचना जारी की जा चुकी है, जो मई-जून तक पूरी होगी। इसके बाद ही पंचायत चुनावों का कार्यक्रम तय किया जाएगा।
हाईकोर्ट में जनहित याचिका पर सुनवाई
हाईकोर्ट में दायर एक जनहित याचिका में इन पंचायतों के चुनाव स्थगित करने के फैसले को चुनौती दी गई थी। याचिका पर सुनवाई के दौरान कोर्ट ने सरकार से सवाल किया था कि वह इन ग्राम पंचायतों में चुनाव कब तक कराएगी। इससे पहले सरकार ने जो जवाब पेश किया था, उसमें चुनाव की समयसीमा का कोई उल्लेख नहीं था। इसके बाद हाईकोर्ट ने 4 फरवरी 2025 के आदेश की पालना में सरकार को चुनाव शेड्यूल बताने के निर्देश दिए थे। इसी के जवाब में सरकार ने नया शपथपत्र पेश कर स्थिति स्पष्ट की।
जनवरी से लंबित हैं चुनाव
याचिकाकर्ताओं के वकील प्रेमचंद देवंदा ने बताया कि राज्य सरकार ने 16 जनवरी 2025 को जारी अधिसूचना के जरिए इन पंचायतों के चुनाव स्थगित कर दिए थे। उनका तर्क है कि यह कदम संविधान के अनुच्छेद 243ई और 243के के साथ-साथ राजस्थान पंचायत राज अधिनियम 1994 की धारा 17 का उल्लंघन करता है। उन्होंने कहा, “पंचायतें लोकतंत्र की सबसे छोटी इकाई हैं। इनके चुनाव रोककर सरकार ने ग्रामीण संस्थाओं को अस्थिर करने का काम किया है। संविधान और पंचायत राज के प्रावधानों के मुताबिक, पंचायत का 5 साल का कार्यकाल पूरा होने के बाद चुनाव एक दिन भी टाले नहीं जा सकते।”

सरपंचों को बताया ‘प्राइवेट व्यक्ति’
याचिकाकर्ताओं ने यह भी दावा किया कि जिन सरपंचों का कार्यकाल पूरा हो चुका है, वे अब जनप्रतिनिधि नहीं हैं, बल्कि केवल निजी व्यक्ति हैं। ऐसे में उन्हें पंचायतों में प्रशासक के रूप में नियुक्त करना नियमों के खिलाफ है। उनका कहना है कि संविधान और कानून इसकी इजाजत नहीं देते।
सरकार का जवाब: प्रशासक लगाने का अधिकार
वहीं, सरकार ने अपने जवाब में कहा कि जिन पंचायतों के चुनाव स्थगित किए गए हैं, वहां प्रशासक नियुक्त करने का अधिकार राज्य को प्राप्त है। सरकार ने राजस्थान पंचायत राज अधिनियम-1994 की धारा 95 का हवाला देते हुए कहा, “हमने कानून के तहत प्रशासक लगाए हैं। एक्ट में यह कहीं नहीं लिखा कि किसे प्रशासक बनाया जा सकता है और किसे नहीं।” सरकार का यह भी तर्क है कि पुनर्गठन और परिसीमन की प्रक्रिया पूरी होने तक चुनाव टालना जरूरी है।
ग्रामीण क्षेत्रों में बढ़ी बेचैनी
पंचायत चुनावों के टलने से ग्रामीण क्षेत्रों में अनिश्चितता का माहौल है। कई गांवों में निवर्तमान सरपंचों का कार्यकाल खत्म हो चुका है और प्रशासकों के जरिए कामकाज चल रहा है। इस स्थिति से ग्रामीणों में असंतोष बढ़ रहा है, क्योंकि वे लोकतांत्रिक तरीके से चुने गए प्रतिनिधियों को जल्द से जल्द देखना चाहते हैं।
आगे क्या?
हाईकोर्ट में इस मामले की अगली सुनवाई पर सभी की नजरें टिकी हैं। यह देखना दिलचस्प होगा कि कोर्ट सरकार के जवाब को स्वीकार करता है या याचिकाकर्ताओं के तर्कों के आधार पर कोई नया निर्देश जारी करता है। फिलहाल, राजस्थान की ग्राम पंचायतों में चुनावी प्रक्रिया जून 2025 तक स्थगित रहने की संभावना है।