राजस्थान में 6000 से ज्यादा ग्राम पंचायतों का कार्यकाल पूरा, जानें कब तक होंगे चुनाव?
जयपुर: राजस्थान में 6,759 ग्राम पंचायतों और 50 से अधिक नगरीय निकायों का पांच साल का कार्यकाल समाप्त होने के बावजूद चुनाव की तारीखों का ऐलान नहीं हो सका है। राज्य निर्वाचन आयोग भी फिलहाल यह स्पष्ट नहीं कर पा रहा कि इन संस्थाओं के चुनाव कब तक आयोजित होंगे। हालांकि, सरकार की ओर से बार-बार नवंबर 2025 में चुनाव कराने की बात कही जा रही है।
पिछले दिनों कांग्रेस प्रवक्ता संदीप कलवानिया ने सूचना के अधिकार (RTI) के तहत राज्य निर्वाचन आयोग से आगामी चुनाव की तिथियों की जानकारी मांगी थी। आयोग ने जवाब में बताया कि नगरीय निकायों और पंचायती राज संस्थाओं का पुनर्गठन और पुनर्सीमांकन का कार्य चल रहा है। यह प्रक्रिया पूरी होने के बाद ही चुनाव की तारीखों की घोषणा संभव होगी।
प्रशासकों के भरोसे व्यवस्था, अटक रहे विकास कार्य
चुनाव समय पर न होने के कारण ग्राम पंचायतों और नगरीय निकायों की व्यवस्था प्रशासकों के हवाले है। इससे आम लोगों के कई कामकाज अटक रहे हैं और कई स्थानों पर विकास कार्य भी प्रभावित हो रहे हैं। विपक्षी दल, जैसे कांग्रेस और माकपा, चुनाव में देरी को लेकर सरकार पर हमलावर हैं और इसे लोकतंत्र के लिए खतरा बता रहे हैं।
पांच साल का कार्यकाल समाप्त, प्रशासकों को जिम्मेदारी
नगरीय निकायों और पंचायती राज संस्थाओं का कार्यकाल संवैधानिक रूप से पांच साल का होता है। इस साल जनवरी में 6,759 ग्राम पंचायतों का कार्यकाल समाप्त हो चुका है, और मार्च 2025 में 704 अन्य पंचायतों का कार्यकाल भी खत्म होगा। इन सभी जगहों पर सरकार ने प्रशासक नियुक्त किए हैं। नगरीय निकायों से जुड़ी ज्यादातर फाइलें जिला कलेक्टर और अपर जिला कलेक्टर कार्यालयों में पहुंच रही हैं, जिसके कारण छोटी-छोटी स्वीकृतियों में भी देरी हो रही है।
कानून क्या कहता है?
एक्सपर्ट संदीप कलवानिया के अनुसार, संविधान के अनुच्छेद 243 (ई) और (यू) में स्पष्ट प्रावधान है कि पंचायती राज संस्थाओं और नगरीय निकायों का कार्यकाल पांच वर्ष का होगा, और इसके बाद समय पर चुनाव कराना अनिवार्य है। प्रशासकों को भी छह महीने से अधिक समय तक नियुक्त नहीं किया जा सकता। यदि सरकार कार्यकाल बढ़ाना चाहती है, तो इसके लिए विशेष विधानसभा सत्र बुलाकर प्रस्ताव पास करना होगा, जिसे केंद्र सरकार को भेजना जरूरी है।
पुनर्गठन और पुनर्सीमांकन में विवाद
राज्य सरकार नगरीय निकायों और पंचायती राज संस्थाओं के पुनर्गठन और पुनर्सीमांकन में जुटी है, लेकिन इस प्रक्रिया में कई विवाद सामने आ रहे हैं। कई क्षेत्रों में नियमों के खिलाफ मनमाने तरीके से पुनर्गठन के आरोप लगे हैं। पूर्व मुख्यमंत्री अशोक गहलोत ने भी सरकार पर नियम-कानून तोड़ने का आरोप लगाया है।
'वन स्टेट वन इलेक्शन' का दावा
राज्य सरकार का दावा है कि वह 'वन स्टेट वन इलेक्शन' फॉर्मूले के तहत पंचायत और नगरीय निकायों के चुनाव एक साथ कराने की तैयारी कर रही है। सरकार का तर्क है कि बार-बार होने वाले चुनावों से आचार संहिता लागू होती है, जिससे विकास कार्य रुकते हैं और वित्तीय बोझ बढ़ता है। इसीलिए सरकार इस फॉर्मूले पर काम कर रही है। हालांकि, कानूनी पेचीदगियों के कारण इस दिशा में प्रगति धीमी है।
कब होंगे चुनाव?
हाईकोर्ट में सरकार ने जानकारी दी है कि पुनर्गठन और पुनर्सीमांकन की प्रक्रिया जून 2025 तक पूरी होगी। इसके बाद ही नई मतदाता सूचियां तैयार की जाएंगी और चुनाव की तारीखों का ऐलान होगा। माना जा रहा है कि नवंबर 2025 में 'वन स्टेट वन इलेक्शन' के तहत ग्राम पंचायतों और नगरीय निकायों के चुनाव हो सकते हैं।
विपक्ष का सरकार पर हमला
कांग्रेस नेता गोविंद सिंह डोटासरा ने कहा है कि परिसीमन, वार्ड पुनर्गठन, और ओबीसी आरक्षण के लिए सर्वे जैसे कार्य अभी तक पूरे नहीं हुए हैं, जिसके कारण चुनाव में देरी हो रही है। उन्होंने सरकार पर 'वन स्टेट वन इलेक्शन' के नाम पर समय बर्बाद करने का आरोप लगाया।
राजस्थान में पंचायत और नगरीय निकाय चुनावों की तारीखें अभी अनिश्चित हैं। पुनर्गठन और कानूनी अड़चनों के कारण देरी हो रही है, लेकिन सरकार का दावा है कि 'वन स्टेट वन इलेक्शन' फॉर्मूले के तहत 2025 के अंत तक चुनाव कराए जा सकते हैं। तब तक प्रशासकों के जरिए व्यवस्था चल रही है, जिससे जनता को कई परेशानियों का सामना करना पड़ रहा है।